मैं मंज़िल मेरी! मुकम्मल करूँगा।
सूरज की तपिश से
मैं ना डरूंगा,
मैं मंज़िल मेरी! मुकम्मल करूँगा।
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ख्वाबों को अपने मैं
पूरा करूँगा,
मैं मंज़िल मेरी! मुकम्मल करूँगा।
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हर क्षण हर दिन मैं
श्रम करूँगा,
मैं मंज़िल मेरी! मुकम्मल करूँगा।
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विफ़ल हुआ तो फिर
कोशिश करूँगा,
मैं मंज़िल मेरी! मुकम्मल करूँगा।
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धीरे-धीरे मैं सबको
मन-मोहित कर आगें बढूंगा,
मैं मंज़िल मेरी! मुकम्मल करूँगा।
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~मोHit अय्यर
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