क्या आप जानते हैं कि "पुण्य और पाप क्या हैं"?
क्या आप जानते हैं कि "पुण्य और पाप क्या हैं"?
हम सभी ये बात से वाकिफ़ हैं कि, दूसरों को दुःख पहुचना पाप हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि फिर आखिर पुण्य क्या हैं और इसे किस प्रकार कमाया जा सकता हैं?
आम लोगो की मानें तो वो इसका उत्तर कुछ इस प्रकार देंगें,
- मंदिर जाने से,
- पूजा करने से,
- यज्ञ या अन्य धर्मानुष्ठान करने से, इत्यादि।
कमा सकते हो परन्तु मेरे विचार में ये पूर्णताः सही नही हैं। यदि आप मेरे विचारों को तनिक विचार करेंगें तो आप मेरी कहीं हुई बातों से सहमत होंगे। जिस प्रकार दूसरों को कष्ट देने से पाप मिलता हैं, उसी प्रकार, दूसरों के दुःखों का निवारण करने से पुण्य मिलता हैं। अत्यंत दुःखी लोगों के कष्टों को निवारण करने से अत्यधिक पूण्य मिलता हैं।
भावतगीता के अध्याय-6 के 46वें श्लोक में कहाँ गया है कि
"योगी ऋषियों से श्रेष्ठ होते हैं तथा वे ज्ञानियों से भी श्रेष्ठ होते हैं, अतः हे अर्जुन! तुम योगी बनो"
HHHH
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