मोHit की अधूरी क़लम...

अगर चाँद  से गुफ़्तगू करने बैठे,
तो तारे बाते बनाने लगेंगे।

ये जो लोग साथ चल रहे हैं,
यहीं कल हमको समझने लगेंगे।।

जब अंधेरों से जी भर जायेगा मेरा,
तो उजाले भी हमको सताने लगेंगे।

छोड़ दिया हमनें रातों  को सोना!
की ख्वाब भी हमको डराने लगेंगे।

बस एक लम्हे  में हम गुम हो जायेंगे,
फिर हमे ढूँढने में ज़माने लगेंगे।

दिल मे जो खामोशी हैं, वो ज़ख़्म हैं,
ये जो बाहर निकले तो शोर मचाने लगेंगे।

©मोHit_Iyer

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