सब हो जाएगा सही, पर आज हो, ये ज़रूरी तो नहीं | The Pen Poetry Blog by Shubham Kumar Gond

सब हो जाएगा सही, पर आज हो, ये ज़रूरी तो नहीं

सब हो जाएगा सही,
पर आज हो, ये ज़रूरी तो नहीं।


चिड़ियों की वो चहचहाहट,
काले बादलों कि गड़गड़ाहट,
मोर का वो पंख फैलाकर नाचना,
होगा सब फिर से वही,
पर आज हो, ये ज़रूरी तो नहीं।

वो कलियों का खिलना,
भौरों का उनसे मिलना,
रात में जुगनुओं का चमकना,
आकाश में चांद का उगना,
और बहेगी फिर से स्वच्छ नदी,
पर आज हो, ये ज़रूरी तो नहीं।

ये अंधेरा भी दूर हो जाएगा,
इंसान फिर से मुस्काएगा,
आंखों में नई ऊर्जा के साथ,
करेंगे फिर प्रकृति का विकास,
फिर से होगी नई रोशनी,
पर आज हो, ये ज़रूरी तो नहीं।

~शुभम्

Post a Comment

Thank for supporting 🙏

Total Pageviews

[blogger]

Contact Form

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.
Javascript DisablePlease Enable Javascript To See All Widget