नए युग की मधुशाला
खुलने न दी मंदिर-मस्ज़िद,
बंद पड़ा हैं पाठशाला।
सरकारों को खूब भा रही,
धन बरसाती मधुशाला।।
सोशल-डिस्टनसिंग की रेड़ मर चुकी,
लॉकडाउन को पूरा धो डाला।
शराबियों के व्याकुल हृदय पर,
रस बरसाती मधुशाला।।
नही मिल रहा राशन-पानी,
मगर मिलेगी मधुशाला।
भाड़ में जाये जनता सारी,
क्योंकि दर्द में है पीनेवाला।।
नशा मुक्त हो जाता भारत,
तो कैसे चलती मधुशाला।
कोरोना से मुक्त न होगा कोई,
जब तक खुली रहेगी मधुशाला।।
एक विनती 'मोहित' की भी सुन लो,
ग़र जाए कोई मधुशाला।
वापस न आने दो उसको,
तुम बन्द करो अपने घर का ताला।।
~मोhit
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