तज़ुर्बा
तज़ुर्बा
कोई आये या जाए, कोई बात नही,
तज़ुर्बा है, ये कोई आम बात नही।
फ़कत ग़रीबी से ही आता है तज़ुर्बा,
गरीबी में रहना किसी के बस की बात नही।।
जहां में हर एक बन्दा खुदा का है,
मेरे नज़र में तो कोई भी खराब नही।
झुर्रियां पड़ जाती दिन-ओ-रात कमाने में,
हर दुकान में मिले, तजुर्बा कोई शराब नही।।
#मोHit_Iyer
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