प्रेम....

यदि प्रेम न होता तो कैसा होता
न मिलतीं समन्दर को पागल सी नदियाँ
और न ही ये चाँद इतना दमकता
न ही ये बादल मटक कर यूँ आते
तय करते मीलों का सफ़र
धरा को प्रेम रस में भिगोने को 
ये हवायें डाकिया न होती 
तकन लाती संग अनगिनत सदायें
यदि प्रेम न होता तो कैसा होता..!!

#अभी

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