August 2020

कभी न मिली

मैंने उम्र तो पाई मगर वो जिंदगी कभी न मिली,
शमा तो ख़ूब जलाया मगर रौशनी कभी न मिली।

चाह में जिस नजर की हम रहे उम्र भर तन्हा,
वो नज़र इस नजर से मगर कभी न मिली।।

सिर्फ़ इक घड़ी ही सही जो देती सुकूँ मुझकों,
साँसें थाम-ली मैंने मगर वो घड़ी कभी न मिली।

काम हर इक अधूरा-अधूरा-सा रहने दिया,
इक पल की भी फुरसत मुझे मगर कभी न मिली।।

सबने ख़ूब खेला जज्बात से मेरे जैसे खेल हो कोई,
भीड़ तो दे दी मुझे मगर दोस्ती कभी न मिली।।

औरों को क्या ईल्म मेरी दर्द-ए-दिल तन्हाई का,
क्योंकि मेरी लय और उनकी लय कभी न मिली।

कौन जाने क्या दोष था मेरी फरियाद में 'मोहित',
लाख ढूँढा मैंने ख़ुद मे मगर कमी कभी न मिली।।


#मोHit Iyer

साँसे टूटकर बिखरने लगी हैं

ज़िन्दगी अब अखरने लगी हैं,
साँसे टूटकर बिखरने लगी हैं,
घरों से भीड़ निकलने लगी हैं।

हर तरफ़ मेरे चर्चे हो रहें हैं,
ज़िन्दगी सस्ती मौत पर खर्चे हो रहें हैं।

अरसो बाद मेरी देह को चीर मिला है,
जैसे किसी प्यासे को नीर मिला है।

मेरे करीब कुछ लोग मौन बैठे हैं ,
क्या पता यह सब कौन बैठे हैं।

जिंदगी के पांव में मौत की बेड़ियां पड़ी हैं,
मौत के आगे मसरूफियत हाथ बांधे खड़ी है।

फिर अचानक मेरे जाने की तैयारी हो रही हैं,
मैं आराम से लेटा कंधो की सवारी हो रही हैं।

मेरी देह अपनों के हाथों जलने लगी है।
घरों को भीड़ वापिस निकलने लगी है।

#मोHit Iyer

मैं गीत लिखूँगा बादल पे, मीत तुम्हारी यादों में...
बरसेगा तुम पर प्यार मेरा, सावन की इन बरसातों में,
जो तुम न निकली कमरे से, तो खिड़की पर जा बैठेंगे।
बूंद बूंद कर भर जायेगा, मेरा प्यार तुम्हारे हाथों में,
खिड़की पर भी जो न मिली तो आंगन में आ जायेंगे।।
वही बरस कर सबर करेंगे, चुपके से हम रातों में।।
मैं गीत लिखूँगा बादल पे, मीत तुम्हारी यादों में....


#मोHit Iyer

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