Best Broken Heart Hindi Shayari on Self Respect - कब तक मैं सब्र/सबर रखूं । मोhit के अल्फ़ाज़
इतना वक्त नही अब, की दुनिया की खोज-खबर रखूं।
किस-किस से मिलू जाकर, किस-किस की खबर रखूं।।
जो भूल गये मुझको, उन्हें मैंने भी भूलाया है।
क्यों भूल गए, क्या बात हुई, क्यों मैं इन सबकी खबर रखूं।।
हर दूसरा शक़्स यहां, अब मुझसे है ख़फ़ा।
वो ख़फ़ा हैं क्यों इस बात की कैसे मै खबर रखूं।।
सब ने काटें बोयें हैं राहों में आकर मेरी।
कब तक मै सहू सब कुछ और कितना मै सबर रखूं।।
ज़ुल्म-ए-सितम सहने की एक हद होती है।
वक़्त-दर-वक़्त हो रहें हैं जो सितम, कितना सबकी मै कद्र रखूं।।
अब 'मोहित' तुझको भी आवाज़ उठानी होगी।
हर हद पार हो जाने के बाद, कैसे मैं सबर रखूं।।
~मोhit ✍
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