Read Best Latest Shayari on Reality of Life | Alone Shayari | Loneliness Shayari | Poet's Pain Tanhai Shayari - अब कुछ याद नही
सफ़र क्या, क्या मंज़िल की अब कुछ याद नही,
लोग रुख़सत हुए कब कुछ याद नही।
दिल में हर वक़्त होती हैं कुछ चुंबन,
थी मुझे भी किसी की तलब कुछ याद नही।।
वो चाँद थी, या सितारा या कोई फूल,
या एक सूरत थी अज़ब कुछ याद नही।
काश भूल सकते हम भी अतीत अपना,
याद आये भी तो सब कुछ याद नही।।
ये हक़ीक़त हैं की अहबाब को हम,
याद ही कब थे जो हो अब कुछ याद नही।
याद हैं मुझे यू लोगो का 'मोहित' करना,
की मेरा नाम तो दूर, सूरत भी उनको अब कुछ याद नही।।
✍🏻✍🏻
~मोhit
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