Read Beautiful Shayari on Progress | Progress Shayari -कुछ न कुछ तो जरूरी हैं
हर वक़्त माँग में रहने के लिए,
कुछ तो हुनर जरूरी हैं जीने के लिए।
मैंने कई देखें हैं जो मर्द की तरह रहते थे,
अब कठपुतली बन गए दरबार मे रहने के लिए।।
ऐसी मजबूरी तो नही है, की पैदल चालु मैं,
ख़ुद को गर्माता हूँ रफ़्तार में रहने के लिए।
आज बदनामी और शौहरत का ऐसा रिश्ता हैं,
की लोग नंगे हो जाते हैं अख़बार में रहने के लिए।।
~मोhit
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