October 2020

हाँ मुझे सम्भलने में थोड़ा वक़्त लगा,
माहौल में ढलने में थोड़ा वक़्त लगा।

कोशिश, अच्छी की उसने जलाने की,
मगर मुझे, जलने में थोड़ा वक़्त लगा।

कागज़ की नाव में सवार मेरी ख्वाहिशें,
नाव को गलने में थोड़ा वक़्त लगा।

ऐसा नहीं था की, इंतजार नहीं किया,
लेकिन मुझे चलने में थोड़ा वक़्त लगा।

बातें अक्सर सीधी करता ही था मैं,
पर लोगो को समझने में थोड़ा वक़्त लगा।

महफ़िल तो अच्छी सजाई थी 'मोहित',
पर माहौल बदलने में थोड़ा वक़्त लगा।

~मोHit

अगर चाँद  से गुफ़्तगू करने बैठे,
तो तारे बाते बनाने लगेंगे।

ये जो लोग साथ चल रहे हैं,
यहीं कल हमको समझने लगेंगे।।

जब अंधेरों से जी भर जायेगा मेरा,
तो उजाले भी हमको सताने लगेंगे।

छोड़ दिया हमनें रातों  को सोना!
की ख्वाब भी हमको डराने लगेंगे।

बस एक लम्हे  में हम गुम हो जायेंगे,
फिर हमे ढूँढने में ज़माने लगेंगे।

दिल मे जो खामोशी हैं, वो ज़ख़्म हैं,
ये जो बाहर निकले तो शोर मचाने लगेंगे।

©मोHit_Iyer

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