May 2020

एक स्त्री चाहिए
जिसके समक्ष
मैं सिर्फ तन से नहीं
मन से भी नग्न हो सकूँ
उतार फेंकूँ सारे मुखौटे
भूला सकूँ पुरुष होने का दम्भ
रो सकूँ जार जार
जिसे कह सकूँ
पुरुष हूँ मगर
पीड़ा अनुभव करता हूँ
चाहता हूँ बिल्कुल माँ की तरह
तुम फेर दो हाथ बालों पर गालों पर
पुरूष होते हुए भी 
कांधा चाहिए कभी कभी मुझे भी

सिर्फ चमकता
दमकता बदन ही नहीं
एक स्त्री चाहिए
जिसे प्रेम करते हुए
पूजा भी कर सकूं
वासना से नहीं श्रद्धा से
जिसके चरणों को चूम सकूँ
जिसके स्पर्श मात्र से
पुलकित हो उठे रोम रोम मेरा
कर दूं पूर्ण समर्पण
विगलित हो अस्तित्व मेरा
मैं नारी बन जाऊं
वो पुरुष बन जाएं
उसमें मैं नजर आऊँ
वो मुझमें नजर आएं
हम शंकर का अद्वैत हो जाए

एक स्त्री चाहिए
जिसे मैं उस तरह प्रेम कर सकूँ
जिस तरह एक स्त्री प्रेम करती है..!!

#अभी

तज़ुर्बा

कोई आये या जाए, कोई  बात  नही,
तज़ुर्बा है, ये कोई आम बात नही।
फ़कत ग़रीबी से  ही  आता  है  तज़ुर्बा,
गरीबी में रहना किसी के बस की बात नही।।

जहां में हर एक  बन्दा खुदा का है,
मेरे नज़र में तो कोई भी खराब नही।
झुर्रियां पड़ जाती दिन-ओ-रात कमाने में,
हर दुकान में मिले, तजुर्बा कोई शराब नही।।
      
#मोHit_Iyer

समय का चक्र तो चलता ही रहेगा

समय का चक्र तो चलता ही रहेगा,
वक़्त तो यूँ बदलता ही रहेगा।
कभी खुशी तो कभी ग़म रहेगा ,
ये सब तो यूँ चलता ही रहेगा।।

मिलना-बिछड़ना तो लगा ही रहेगा,
सदा हस्ते रहो अच्छा रहेगा।
भाग्य तो उदय होता ही रहेगा
जब तक कर्म तू करता रहेगा।।

फूलो का खिलना-झड़ना होता ही रहेगा,
पर 'मोहित', पेड़ तो सीधा खड़ा ही रहेगा।
क्योंकि वक़्त तो यूँ बदलता ही रहेगा।
समय का चक्र तो चलता ही रहेगा।।

#मोHit_Iyer

अब यूँ फिर कभी मुलाकात न होगी

शायद, अब यूँ फिर कभी मुलाकात न होगी,
सोचा न था कभी कि फिर बात न होगी।

तेरा मुस्कुराना और घबराके दांतों से लबो का दबाना,
याद है मुझे सब लेकिन अब फिर वो रात न होगी।।

माना दुविधा में हो आज,
दोनों की राहें जो जुदा होगी।
पर घबराओ मत जी लूंगा,
पर इस सफ़र में तुम साथ न होगी।।

रिश्ते बनते ही टूट जाने का ग़म मैं जानता हूँ,
किसी की ज़िंदगी मुझ जैसी अकस्मात न होगी ।।

#मोHit_Iyer

मैं अपने ही अंदर धीरे-धीरे मार रहा हूँ

बुझे हुए दिए मैं जला रहा हूँ,
अपने ही ख़्वाबों से ख़ौफ़ खा रहा हूँ।
बादलो ने रोका है रास्ता रोशनी का शायद,
इसीलिए मैं अँधेरों से दोस्ती निभा रहा हूँ।।

प्यास है दो बूंद ही मिल जाये कहीं से,
इसी आस में अपने दिन गुज़ार रहा हूँ।
मयस्सर कहाँ मुझे सुकूँ-ओ-चैन मिले,
मैं ज़िन्दगी से मौत की ओर जा रहा हूँ।।

हौसलों की बुनियाद से महल बना मेरा,
उड़ा न ले आँधियाँ, इसलिए मैं डर रहा हूँ।
मुक़द्दर भी अपना खेल खेल रही है,
मैं अपने ही अंदर धीरे-धीरे मार रहा हूँ।।

#मोHit_Iyer

मुझे अच्छा तो नही लगता

सबकुछ तू छोड़ के आ जाये,
ऐसा मुझे तो नही लगता।
मैं तुझे अच्छा तो लगता हूँ,
मगर इश्क़ हो इतना तो नही लगता।।

तुझे यूँही कोई भी अच्छा लगे,
मुझे अच्छा तो नही लगता।
तेरा चुना अच्छा न जाने क्यों,
मुझे अच्छा तो नही लगता।।

~मोHit_Iyer

यदि प्रेम न होता तो कैसा होता
न मिलतीं समन्दर को पागल सी नदियाँ
और न ही ये चाँद इतना दमकता
न ही ये बादल मटक कर यूँ आते
तय करते मीलों का सफ़र
धरा को प्रेम रस में भिगोने को 
ये हवायें डाकिया न होती 
तकन लाती संग अनगिनत सदायें
यदि प्रेम न होता तो कैसा होता..!!

#अभी

अगर आप सीधे हैं दिल से साफ हैं
आप प्यार देना जानते हैं
तो यकीन मानिए आपकी मोहब्बत
हर कोई पाना चाहेगा पर कोई
इसकी कदर नहीं करेगा
वो आपको अपने पास
रखेगा जरूर पर हमेशा
एक सुरक्षित अंतिम विकल्प 
के तौर पर, आप प्रेम करते
हुए कभी अपने लिए खुशियां
नहीं बटोर सकते हैं..!!

#अभी

मेरी जिंदगी मे तुम्हारा होना एक फेज था
जो गुजर गया और तुम्हारे ये न होने वाला
जो मेरी जिंदगी का फेज है बहुत कठिन है
मतलब कट ही नहीं रहा लेकिन वक्त है
वो दौर भी बीत गया जब तुम साथ थी
तो ये दौर भी बीत जाएगा जब तुम साथ नहीं हो
बाकी और सब बढ़िया तो रहता ही है हमेशा..!!

#अभी

गुजरते वक़्त का हवाला दिया न करो।
मुझें तुम झूठा दिलासा दिया न करो।।

किया जो भी मैंने बड़े ईमान से किया।
बदले में तुम मुझें धोखा दिया न करो।।

मिलने आओ तो अपनी खुशी से आना।
वस्ल में फ़रेब की खुशबु दिया न करो।।

न दो मुझें किसी भी काम की तारीफ़।
लेकिन बदले में तोहमतें दिया न करो।।

बेशक़ न मिलाओ तुम मुझसे गले।
बस पीठ में तुम खंजर दिया न करो।।

#मोHit_Iyer

हर दर्द जिसका मुझे मंजूर था,
वो शख्स मुझसे कोसों दूर था।

डूब चुका था मैं उसके चाह में,
पर वो तो किसी और के ही नशे में चूर था।।

हर जगह, हर पल इंतज़ार किया उसका,
पर वो तो किसी और के ही बाहों में मसरूफ़ था।

ढूंढा तो सही मैंने उसे हर कोने, हर गली में,
पर वो तो न जाने कौन से शहर था।।

उसकी नफ़रत को भी गले से लगाया मैंने,
की दिल मेरा इस क़दर चाहत में मजबूर था।

रुसवाई की सारी हदें पार कर दी तूने 'मोहित',
पर वो तो किसी और के ही इश्क़ में मशहूर था।।

#मोHit_Iyer

फ़िर वही शाम आंखों के सामने,
तारों से सजी बारात लिये।
इक चांद भी चरखे कि तरह,
बेगाने रथ में जैसे है लगे,
वो धुंधली सी किरणे,
मेरी परछाई के दिखते हैं,
मैं ढूंढ रहा हुुँ खुद को,
इस अंधेरे से रस्ते में,

फ़िर वही शाम आंखों के सामने,
तारों से सजी बारात लिये।
इसके धुएं में मैं डूब गया,
मेरी ख्वाहिशों को मैं भूल गया
मैं खुद को जैसे छोड़ गया,
मेरे अंदर मैं खुद आप नहीं,
तनहा जैसे जा रहा जिये,
फ़िर वही शाम आंखों के सामने,
सपनों की झूठी शान लिये।

...शुभम्

आज दिल मे है, कल नज़र से उतर जायेंगे,
आज जी रहे है, कल दुनियां से निकल जायेंगे।

सच तो बताना जरूरी है, कलम की नोंक से,
यूँ दब कर रहेंगे 'मोहित', तो घुटन से मर जाएंगे।।

✍🏻✍🏻
~मोHit_Iyer

सब हो जाएगा सही, पर आज हो, ये ज़रूरी तो नहीं

सब हो जाएगा सही,
पर आज हो, ये ज़रूरी तो नहीं।


चिड़ियों की वो चहचहाहट,
काले बादलों कि गड़गड़ाहट,
मोर का वो पंख फैलाकर नाचना,
होगा सब फिर से वही,
पर आज हो, ये ज़रूरी तो नहीं।

वो कलियों का खिलना,
भौरों का उनसे मिलना,
रात में जुगनुओं का चमकना,
आकाश में चांद का उगना,
और बहेगी फिर से स्वच्छ नदी,
पर आज हो, ये ज़रूरी तो नहीं।

ये अंधेरा भी दूर हो जाएगा,
इंसान फिर से मुस्काएगा,
आंखों में नई ऊर्जा के साथ,
करेंगे फिर प्रकृति का विकास,
फिर से होगी नई रोशनी,
पर आज हो, ये ज़रूरी तो नहीं।

~शुभम्

क्या उम्र भर रखूँ उसे, जो रात भर नहीं रहा।

वो सर-ब-सर नहीं रहा,
मेरा जीवन बसर नहीं रहा।

वो भी तो ज़िंदा है अभी,
मैं भी तो मर नहीं रहा।।

सबको तो मरना ही है एक दिन,
कोई भी अमर नहीं रहा।।

ये भी सच है की मैं,
घर छोड़ कर हीं रहा।।

क्या उम्र भर रखूँ उसे,
जो रात भर नहीं रहा।।

~मोHit_Iyer✍🏻

कभी मैंने पूछा नही, आज मगर बता दो न माँ

कभी मैंने पूछा नही, आज मगर बता दो न माँ,
अपने सपनों को खुल-कर जता दो न माँ,
छोड़ो कल और आज की फ़िक्र,
ग़म सारे अपने आज हटा दो न माँ।।

कभी मैंने पूछा नही, आज मगर बता दो न माँ,
अपने कुछ अनकही ख़्वाहिशों को बता दो न माँ,
देखों पूरा न भी कर सका, फ़िर भी कोशिश जरूर करूँगा,
लेकिन इस बेटे को मौका तो इत्ता दो न माँ।।

वो स्कूल का बस्ता सजाना, टिफ़िन लगाना, कक्षा में मेरा अव्वल आना,
ऐसे ही कुछ ख़्वाब रखती थी न माँ,
कभी मैंने पूछा नही, आज मगर बता दो न माँ,
चलो फ़िर से स्कूल जाता हूँ, मेरे लिए कुछ बना दो न माँ।।

~मोHit_Iyer

क्यों मैं हरपल रोता ही रहा हूँ।।
बुझ गए सारे दियें, अब हो गया अंधेरा,
साथी न दोस्त, अब कोई नही है मेरा,
आख़िर किसके लिए मैं जीता ही रहा हूँ,
क्यों मैं सब-कुछ खोता ही रहा हूँ,
क्यों मैं हरपल रोता ही रहा हूँ।।

अब तो हँस रहा है हालत पे मेरे ये सारा ज़माना,
क्या दुःख है मुझें, ये किसी ने कभी न जाना।
ख़ामोश-सा चेहरा लिए फिरता ही रहा हूँ,
क्यों मैं सब-कुछ खोता ही रहा हूँ,
क्यों मैं हरपल रोता ही रहा हूँ।।

रास न आये ये तौर-तरीके, ये सर्द-फ़िज़ाये,
मेरे अश्कों को छुपाती ये सावन की घटाएं,
ग़मो को अपने हरदम छुपाता ही रहा हूँ,
क्यों मैं सब-कुछ खोता ही रहा हूँ,
क्यों मैं हरपल रोता ही रहा हूँ।।

~मोHit Iyer #review

खुलने न दी मंदिर-मस्ज़िद,
बंद पड़ा हैं पाठशाला।
सरकारों को खूब भा रही,
धन बरसाती मधुशाला।।

सोशल-डिस्टनसिंग की रेड़ मर चुकी,
लॉकडाउन को पूरा धो डाला।
शराबियों के व्याकुल हृदय पर,
रस बरसाती मधुशाला।।

नही मिल रहा राशन-पानी,
मगर मिलेगी मधुशाला।
भाड़ में जाये जनता सारी,
क्योंकि दर्द में है पीनेवाला।।

नशा मुक्त हो जाता भारत,
तो कैसे चलती मधुशाला।
कोरोना से मुक्त न होगा कोई,
जब तक खुली रहेगी मधुशाला।।

एक विनती 'मोहित' की भी सुन लो,
ग़र जाए कोई मधुशाला।
वापस न आने दो उसको,
तुम बन्द करो अपने घर का ताला।।

~मोhit

Shayari on Drunkard's

रख लेंगें 2-4 बोतल कफ़न में,
खुद तो मरेंगे ही दूसरों को भी मारेंगे।
जब माँगेगा खुदा हिसाब गुनाहों का,
एक पेग उसको भी लगवा देंगे।।

#बेवड़े_भारत_की_शान

~मोHit Iyer✍🏻✍🏻

मुझसे नहीं कटती अब
ये उदास रातें!!
बेखुदी मे कल सूरज से कहूँगा,
मुझे साथ लेकर डूबे...

~मोhit

ये फिजाओ में केसा सन्नाटा पसर गया।
इश्क़ का जो भुत था, शायद उतर गया।।

4 दिन साथ रहा वो मेरे भी हमदर्द की तरह।
फिर वो अपने घर गया, मैं अपने घर गया।।

~मोHit Iyer

Maut Sad Shayari in Hindi
ए ज़िंदगी दर्द थोडे कम दिया कर,
लगता है कभी मौत ही दस्तक दे जाएगी।
या फ़िर सीख कुछ मौत से,
एक दर्द में तुझे मुझसे ही छीन ले जाएगी।।

~मोhit

तुम निगाहें मेरे कपड़ों के भीतर डालो,
उससे पहले सुनना, वहां भीतर एक दिल धड़कता है।
जिसे हवस नहीं, बस इश्क़ की तिश्नगी है।

~मोHit Iyer

My home seems to me a prison, and seeing myself as a prisoner.
Oh dear corona, please fly away somewhere.

Peace is beautiful but fun as before is nowhere,
Oh dear corona, please fly away somewhere.

Some are dealing with this virus, some are dealing with hunger,
Oh dear corona, please fly away somewhere.

Just because of this lock, people scream everywhere.
Oh dear corona, please fly away somewhere.

#मोHit Iyer

आज वही खाली इंतजार है तुम्हारा
वो काश वाला इंतजार
जो कभी पूरा नही हो पाता
बस छोड़ जाता है तो ढेर सारा दर्द और सन्नाटा
कहने को तो बहुत कुछ है
लेकिन अब कहेंगे नहीं
और जब तक तुमको हमारी खामोशी महसूस होगी
तब तक बहुत दूर जा चुके होंगे हम
खैर हमें कोई शिकायत नहीं तुमसे
न ही कोई मलाल
बस खुश रहो.. हमेशा मुस्कुराते हुये..!!

#अभी

वक़्त कब ले करवट ये कौन जानता हैं?
खामोशी का पहनकर नक़ाब आये कोई कौन जानता है?
यूँ ही किसी पे भरोसा न किया करो मेरे दोस्त 'मोहित'!
किस-किस के आस्तीन में छुपे हो नाग कौन जानता हैं?


~मोHit Iyer

चंद बूंदे गिरी ज़मी पर,
और हाहाकार हो गया!

जिसने छुपाये आंसू वो,
कलाकार हो गया!!

कब तक बरसोगे तुम,
इसी तरह आसमान में!

बादल तेरी वजह से,
ये खेत बर्बाद हो गया!!

~मोHit Iyer

पैरो को छू लेती है समंदर की लहेरे,
वो कभी बता के नहीं आती।
दो आंसू गिर जाते है उसकी याद मे,
फिर भी रोने की आवाज नहीं आती।।

~मोHit Iyer

खोकर खुद का वजूद मुझे संभाला हैं,
मुझें इस खूबसूरत सांचे में ढाला हैं!
मेरा किरदार रहा है मेरे पापा जैसा,
कांटो की राहों पर फूलों से पाला हैं!!

~मोHit Iyer

मेरे लफ़्ज़ों पे मेरा ज़ोर नहीं,
कुछ इस क़दर मेरी पहचान है !
समझने वाले तो मुझे समझ गये,
जो नहीं समझे वो अब तक हैरान हैं !!

~मोhit Iyer

वो मंज़र ही क्या जो फ़ीका न हो,
बस मंज़िल साफ दिखनी चाहिए !
मुश्किलें तो आती ही रहेंगी ज़िन्दगी में,
बस वो सलीक़े से गुज़र जानी चाहिए !!

~मोhit Iyer

ग़र दर्द हो रहा है, तो फिर उसे पुकार ले।
नए दर्द से अपने पुराने दर्द को संवार ले।।

बना ले नासूर इस क़दर अपने दर्द को 'मोहित'!
की दर्द के मारे सभी तुझसे कुछ दर्द उधार ले।।

~मोhit Iyer

जो हैं उसको दिखाने की जरूरत क्या हैं?
अपनी पहचान बताने की जरूरत क्या है?
आपका क़िरदार दिखा देगा आपकी शख्सियत!
ढोलक पीटकर हल्ला करने की जरूरत क्या है?

~मोhit

मैं ठहरा Maths का विद्यार्थी,
वो History की छात्रा थी,

मैं खुद में Maths की किताब सा था,
वो चलती-फिरती ज्ञान का पिटारा थी।।

मैं कोई unsolved equations सा था,
वो अज्ञात महाद्वीप का किनारा थी,

ये मेल iota की value सा था,
क्योंकि वो दूर कोई गुमनाम सितारा थी।।

~मोhit

पिताजी के गुज़र जाने के बाद कि हुई मेरी अपनी रचना - मेरी अंतर्मन की पीड़ा

मेरी अंतर्मन की पीड़ा का,
तुम्हें ज़रा भी एहसास नहीं।
बहुत करीब होकर भी,
अब तुम मेरे पास नहीं।।

आपके साथ बिताया हर वक़्त, हर लम्हा,
उन्हें भूल पाना मेरे बस में नहीं।
यादों की उन सुनेहरी जंजीरों में जकड़ा मैं,
अब खुलकर ले पाता हूँ साँस नहीं।।

वो हाथ थामकर स्कूल जाना,
अब स्कूल जाने में वो बात नहीं।
वो आपका चिल्लाना, और मेरा चैन से सोना,
अब ऐसी कोई एक भी रात नहीं।।

#मोhit_Iyer #papa #dedicated

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